तुम तब देशद्रोह नहीं करते
जब मेरे देशवासियों की कमाई लूटते हो
तुम तब देशद्रोह नहीं करते
जब दूजों के हक पर टूटते हो
तुम तब देशद्रोह नहीं करते
जब किसी आंगनबाड़ी में
नौकरी दिलाने की खातिर
उस गरीब महिला का चीर-हरण करते हो
देशद्रोह तो तब भी नहीं होता
जब तुम किसी की जान-माल का
सौदा कर डालते हो, निरा-बेफिक्र...
महज़ इसलिए कि सामने वाला
अमूक धर्म-जाति-सम्प्रदाय का है
मगर मैं बताऊं
तुम्हारे राज मे मैं
बा-फक्र कहता हुं
मैं देशद्रोही हूं
हां, मैं देशद्रोही हूं
क्यूंकि तुम्हारे राज में
हर वो इंसान देशद्रोही है
जो तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाने का
माद्दा रखता हो.
जब मेरे देशवासियों की कमाई लूटते हो
तुम तब देशद्रोह नहीं करते
जब दूजों के हक पर टूटते हो
तुम तब देशद्रोह नहीं करते
जब किसी आंगनबाड़ी में
नौकरी दिलाने की खातिर
उस गरीब महिला का चीर-हरण करते हो
देशद्रोह तो तब भी नहीं होता
जब तुम किसी की जान-माल का
सौदा कर डालते हो, निरा-बेफिक्र...
महज़ इसलिए कि सामने वाला
अमूक धर्म-जाति-सम्प्रदाय का है
मगर मैं बताऊं
तुम्हारे राज मे मैं
बा-फक्र कहता हुं
मैं देशद्रोही हूं
हां, मैं देशद्रोही हूं
क्यूंकि तुम्हारे राज में
हर वो इंसान देशद्रोही है
जो तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाने का
माद्दा रखता हो.
*कार्टूनिस्ट असीम को समर्पित।
- मनीष कुमार यादव
- मनीष कुमार यादव