दास्तान-ए-ज़िंदगी भी कैसी अजीब है, रिश्तों, रास्तों और मंजिलों का भंवर भर है... - मनीष यादव
उनका मुस्कुराना...
हमारे हंसाने से ज़्यादा किसी का रुलाना पसंद आया
हमें याद रखना पसंद आया, उन्हें भूल जाना पसंद आया
ज़िन्दगी भर की रूसवाई चीखती रही खामोशियों में
दुनिया को हर पल उनका मुस्कुराना पसंद आया