मसरूफियत में भी याद रखते हैं याद करना
वो खूब जानते हैं आज़माना क्या होता है
जानना हो तो कोई हमसे ये पूछे
मुद्दतों बाद किसी का साथ आना क्या होता है
ख़ौफ़ज़दा भी रहते हैं और परवाह भी नहीं करते
जाने कमबख्त ये ज़माना क्या होता है
तमाम ग़मों के बाद भी मुस्कराना क्या होता है
उन्हें क्या पता याद आना क्या होता है
-मनीष
06/05/2015