कामरेड


मैंने उससे कहा
तुम चुन लो
कि तुम्हें क्या चाहिए
आज की शाम
या तो तुम एक नाटक लिखोगे
या फिर गुरुद्वारे में जाकर रहोगे
शाम हुई
मैंने उससे फिर पूछा
तुमने क्या चुना
उसने कहा - सड़क!
मैं फिर उसके साथ चल पड़ा।

 - मनीष कुमार यादव
04.08.2016

किसी को दे दो दिल

किसी को दे दो दिल, किसी पे जां निसार करो
तुम्हारे बस में ही कहां है किसी को प्यार करो 

मुकम्मल हो तो जाएं, यूं सोहबत में तुम्हारी
तुम्हें गंवारा ही कहां कि ये इंतज़ार करो 

 महकमों में बिक गई है सियासत वतन की
अपने ही लोगों पे भी ज़रा कम एतबार करो

है सबकी नज़र पर नज़र, और ज़ुबां पर ज़ुबां
यहां संभलकर चलो, ज्यों निगाह-ए-यार करो

किसी को दे दो दिल, किसी पे जां निसार करो
तुम्हारे बस में ही कहां है किसी को प्यार करो

03.07.2017