bhanwar...
दास्तान-ए-ज़िंदगी भी कैसी अजीब है, रिश्तों, रास्तों और मंजिलों का भंवर भर है... - मनीष यादव
हंसी उनके लबों की...
जिनके तसव्वुर में ता-उम्र फ़ना रहिए,
अब हंसी उनके लबों की, क्या कहिये...
छोड़कर बढ़ चले, पलट कर देखा भी नहीं
उनका भगवान रहे उनके साथ, दुआ कहिए...!!!
-
- मनीष कुमार यादव
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