bhanwar...
दास्तान-ए-ज़िंदगी भी कैसी अजीब है, रिश्तों, रास्तों और मंजिलों का भंवर भर है... - मनीष यादव
वफा-ए-ज़िंदगी से...
वफा-ए-ज़िंदगी से हमने कब, क्या पाया,
जो छोड़कर चला गया, वो फिर नहीं आया...
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