दास्तान-ए-ज़िंदगी भी कैसी अजीब है, रिश्तों, रास्तों और मंजिलों का भंवर भर है... - मनीष यादव
दोस्त बनकर एहसानों का इश्तेहार करेगा देखें ज़माना क्या रुख अख्तियार करेगा दुनिया भर के काम हैं दुनिया के पास 'मनीष' कोई क्यों भला तुझको कभी प्यार करेगा
-मनीष 14/04/2014