ज़िन्दगी में दर्द तो बहुत बढ़ा है इन दिनों...
कभी सोचता हूं उसे कह डालूं हाल-ए-दिल
लेकिन तभी याद आते हैं उसके दर के बन्द दरवाज़े
..."वहां सुनवाई नहीं होनी" - का असमंजस ही
रोक लेता है उठे कदम...
सच-
'संसार इंसानों की भारी कमी से जूझ रहा है'!
कभी सोचता हूं उसे कह डालूं हाल-ए-दिल
लेकिन तभी याद आते हैं उसके दर के बन्द दरवाज़े
..."वहां सुनवाई नहीं होनी" - का असमंजस ही
रोक लेता है उठे कदम...
सच-
'संसार इंसानों की भारी कमी से जूझ रहा है'!