कहाँ हो...?

तुम्हारी यादों की आग ने जलाकर खाक कर दिया दिल,
आंसू मिले हैं इतने, कि जिस्म नहीं जलता
आँखें, इंतज़ार में अब तक रस्ता देख रहीं हैं
कहाँ हो तुम...?