अब तक बड़ा बेचैन था, किसी की बेरुखी-ओ-बेदिली से
उसने महज़ आज़माने से, कुछ ज़्यादा तो किया
कल से ज़रा सुकून से हूं, कि रुला रखने का ही सही
सितमगर ने मुझसे कोई वादा तो किया...
- मनीष कुमार यादव
उसने महज़ आज़माने से, कुछ ज़्यादा तो किया
कल से ज़रा सुकून से हूं, कि रुला रखने का ही सही
सितमगर ने मुझसे कोई वादा तो किया...
- मनीष कुमार यादव