bhanwar...
दास्तान-ए-ज़िंदगी भी कैसी अजीब है, रिश्तों, रास्तों और मंजिलों का भंवर भर है... - मनीष यादव
आँखों का तारा
किसी को आँखों का तारा बना लो
फिर वो टिमटिमाने से मना कर दे
तो दिल में बड़े अंदर तक चुभता है...
- मनीष कुमार यादव
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