मैंने देखा है तुम्हें
निहत्थों पर गोलियां बरसाते हुए
पूरी निर्ममता, बर्बरता और
कथित ईमानदारी के साथ
मगर एक दिक्कत है
गोलियां बरसाते हुए तुम
शायद ही कुछ सोचते हो
क्योंकि तुम्हारी गोलियों के चलने से
साबित तो बस यही होता है
तुम तो यह भी नहीं सोचते
कि तुम्हारी सोच
कुछ ऐसों के कब्ज़े में है
जो शायद ही कभी कुछ सोचते हैं
तुम चाहो तो इसे ईमानदारी न कहो
मगर मेरा न्याय और मेरी इच्छा
दोनों ही इसकी पूरी गवाही देते हैं
मैं चाहूँ तो कर सकता हूँ
एक वार के बदले कई वार
छलनी कर सकता हूँ तुम सबका सीना
एक गोली के जवाब में कई गोलियों से
मगर फिर एक दिक्कत है
वो ये, कि मैं सोचता हूँ
हाँ, मैं सोचता हूँ
तुम्हारे आगे-पीछे के लोगों के बारे में
तुम्हारे भूत-वर्तमान-भविष्य के बारे में
और फिर रुक जाता हूँ
गोली चलाने से ठीक पहले
इसलिए नहीं, कि मुझमें
ताकत या हिम्मत नहीं है
बल्कि सिर्फ इसलिए
कि मेरी सोच
किसी के कब्ज़े में नहीं है।
05.05.2015