दिल तो कहीं और है
अनाथ छोड़ रखा है रकीब ने
अपनी दुनिया के किसी परित्यक्त कोने में
जहां वो शायद कभी नहीं जाते
और जब भी कभी भूले-भटके
उधर से गुज़र भी जाते हैं
तो दिल धड़क उठता है
और इसी से मैं ज़िंदा हूँ
दुनिया तो अपने हिस्से की साँसें
कब की हमसे छीन चुकी....
11.12.2014
अनाथ छोड़ रखा है रकीब ने
अपनी दुनिया के किसी परित्यक्त कोने में
जहां वो शायद कभी नहीं जाते
और जब भी कभी भूले-भटके
उधर से गुज़र भी जाते हैं
तो दिल धड़क उठता है
और इसी से मैं ज़िंदा हूँ
दुनिया तो अपने हिस्से की साँसें
कब की हमसे छीन चुकी....
11.12.2014