बना रक्खा है भरम कि ज़िन्दगी हसीन है
उसपर भी बेतरतीब आज़माइश हो रही है
सांस लेने की भी फुरसत नहीं होती
पूरी उम्र जीने की ख्वाहिश हो रही है
जिसके लिए जीते रहे हर लम्हा अब तलक
उनसे ही मेरी मौत की फरमाइश हो रही है
तलाश रहे हैं जो मौका कुछ कर गुजरने का मनीष
हर सिम्त उनको रोकने की साज़िश हो रही है
01.09.2015
उसपर भी बेतरतीब आज़माइश हो रही है
सांस लेने की भी फुरसत नहीं होती
पूरी उम्र जीने की ख्वाहिश हो रही है
जिसके लिए जीते रहे हर लम्हा अब तलक
उनसे ही मेरी मौत की फरमाइश हो रही है
तलाश रहे हैं जो मौका कुछ कर गुजरने का मनीष
हर सिम्त उनको रोकने की साज़िश हो रही है
01.09.2015