बना रक्खा है भरम...

बना रक्खा है भरम कि ज़िन्दगी हसीन है
उसपर भी बेतरतीब आज़माइश हो रही है
सांस लेने की भी फुरसत नहीं होती
पूरी उम्र जीने की ख्वाहिश हो रही है
जिसके लिए जीते रहे हर लम्हा अब तलक
उनसे ही मेरी मौत की फरमाइश हो रही है
तलाश रहे हैं जो मौका कुछ कर गुजरने का मनीष
हर सिम्त उनको रोकने की साज़िश हो रही है


01.09.2015