कहाँ है वतन, कहाँ राह-ए-अमन है

कैसे कहें किसकी नीयत में क्या दफ़न है
किसी के सर पे सेहरा, किसी के सर कफ़न है
हमारी रोटियां लूटने वालों के महल देखिये
इसी शहर कहीं मातम, कहीं जशन है
दूर तड़ीपार हुआ इंकलाबी कहता है
यहां ज़िन्दगी ज़िन्दगी की दुश्मन है
पूछता रहा हर मिलने वाले शख्स से मनीष
कहाँ है वतन, कहाँ राह-ए-अमन है


31/08/2015