दिलदार-ए-अदद नहीं मिला

खूब चैन-ओ-अमन समझते रहे दौलत में
कुछ भी नहीं रहा हम जो नहीं पाए
फ़क़त एक दिलदार-ए-अदद नहीं मिला
बार-ए-तन्हाई हम ढो नहीं पाए
हमसे रूठा ही रहा ताउम्र हमारा नसीब
रु-ब-रु-ए-एहसास-ए-इश्क़ हो नहीं पाए
इल्म उनको नहीं इस बात का मनीष
उनकी यादों की वजह, सो नहीं पाये


05.09.2015